इसका कोई अंत नहीं है, क्योंकि भक्ति तो ऐसा प्रेम है जो कभी कम नहीं होता |
5.
चेतना निराकार है, इसका कोई अंत नहीं है, और ये सभी तरफ से तेजस्वी है.
6.
अब मीडिया मंडी सरकारों की चाटुकारिता कर रही है और विज्ञापन के लिए या यूँ कहे हड्डी पाने की चाहत में कितने निचले स्तर पर गिर जाएगी, इसका कोई अंत नहीं है.
7.
जाति और धर्म का सवाल आते ही शुतुरमुर्ग की तरह रेत में अपनी गर्दन छुपा लेना, खुद को जातिविरोधी घोषित कर देना, फिर अपने परिवारिक कामों में जाति के आधार पर व्यवहार करना, जाति आधारित चुटकुले सुनाना, खुद को नास्तिक घोषित कर देना, फिर दीवाली और ईद पर बधाइयाँ भेजना, क्या है यह सब? क्या इसका कोई अंत नहीं है?